Eternal love
प्रार्थना न तो हिंदू होती है और न ही मुसलमान ,उसे सिख और ईसाई भी नहीँ कह सकते हैं !
प्रार्थना निचोड़ है प्रेम का !! निःस्वार्थ प्रेम का !!!
प्रार्थना हृदय से होती है और ह्रदय की भावनायें जाति और धर्मों के बंधनों से ऊपर होती हैं !और जब हम बंधनों से ऊपर उठकर प्रार्थना करते हैं तो मुस्कुराहट फैला सकते हैं …..
डॉ अजय ममता सिंह
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